भारतीय अंतरिक्ष इतिहास में 26 जून 2025 का दिन स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया, जब भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर कदम रखा। वे ऐसा करने वाले पहले भारतीय बने हैं, जिन्होंने Axiom-4 मिशन के तहत ISS पर 14 दिन बिताने का अवसर पाया। यह मिशन भारत और अमेरिका के साझा सहयोग का परिणाम है, जिसमें नासा और इसरो की साझेदारी ने विज्ञान और तकनीक के नए आयाम खोले हैं।
Shubhanshu Shukla becomes first Indian astronaut- विज्ञान की नई उड़ान: 7 भारतीय प्रयोगों का नेतृत्व
Axiom-4 मिशन के दौरान कुल 60 वैज्ञानिक प्रयोग किए जा रहे हैं, जिनमें से 7 महत्वपूर्ण प्रयोगों का नेतृत्व शुभांशु शुक्ला कर रहे हैं। ये प्रयोग जैविक, कृषि और मानव अनुकूलन से जुड़े हैं, जिनका उद्देश्य अंतरिक्ष में जीवन और पृथ्वी पर मानव स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है।
Shubhanshu Shukla becomes first Indian astronaut- मांसपेशियों की देखभाल: माइक्रोग्रैविटी में मसल लॉस पर शोध
अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण की कमी के कारण मांसपेशियों में कमजोरी आना एक बड़ी चुनौती है। शुभांशु शुक्ला द्वारा किया जा रहा ‘मसल लॉस इन माइक्रोग्रैविटी’ नामक प्रयोग इस समस्या के कारणों को समझने और संभावित उपचार खोजने के लिए है। इसका लाभ भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के साथ-साथ पृथ्वी पर बुजुर्गों और मांसपेशी रोग से पीड़ित लोगों को भी मिल सकता है।

Shubhanshu Shukla becomes first Indian astronaut- अंतरिक्ष में खेती: बीजों और शैवाल पर अनूठे प्रयोग
शुक्ला छह किस्मों के फसल बीजों को अंतरिक्ष में उगाकर यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि शून्य गुरुत्वाकर्षण में पौधों की वृद्धि और पोषण में क्या बदलाव आते हैं। इसके अलावा, तीन प्रकार की माइक्रोएल्गी (सूक्ष्म शैवाल) की अनुवांशिक और चयापचय संबंधी विशेषताओं का अध्ययन किया जा रहा है। ये प्रयोग भविष्य में अंतरिक्ष में दीर्घकालिक मिशनों के लिए भोजन, ऑक्सीजन और रिसाइक्लिंग सिस्टम को बेहतर बनाने में मददगार साबित हो सकते हैं।
Shubhanshu Shukla becomes first Indian astronaut- टार्डीग्रेड्स: ‘वॉटर बियर्स’ की जीवन क्षमता की परीक्षा
‘वॉटर बियर्स’ के नाम से मशहूर टार्डीग्रेड्स पर किए जा रहे प्रयोग में देखा जा रहा है कि ये सूक्ष्म जीव अंतरिक्ष के कठोर वातावरण में कैसे जीवित रहते हैं और खुद को कैसे ठीक करते हैं। यह शोध जीवन समर्थन प्रणालियों और भविष्य में अंतरिक्ष में जीवन की संभावनाओं को समझने में अहम भूमिका निभा सकता है।
Shubhanshu Shukla becomes first Indian astronaut- सायनोबैक्टीरिया: चंद्रमा और मंगल पर जीवन की तैयारी
इसरो और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के सहयोग से दो प्रकार की सायनोबैक्टीरिया पर शोध किया जा रहा है। इनकी प्रकाश संश्लेषण क्षमता और प्रतिरोधकता का मूल्यांकन किया जा रहा है, जिससे भविष्य में चंद्रमा या मंगल पर जीवन समर्थन प्रणाली को विकसित करने में मदद मिल सकती है।

Shubhanshu Shukla becomes first Indian astronaut-डिजिटल स्क्रीन और मानसिक स्वास्थ्य: अंतरिक्ष में मानव व्यवहार का अध्ययन
शुक्ला द्वारा किया जा रहा एक अन्य प्रयोग यह पता लगाने के लिए है कि शून्य गुरुत्वाकर्षण में डिजिटल स्क्रीन के उपयोग से आंखों की फोकसिंग, समन्वय और मानसिक तनाव पर क्या असर पड़ता है। इससे अंतरिक्ष यात्रियों के प्रदर्शन और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के उपाय खोजे जा सकते हैं।
Shubhanshu Shukla becomes first Indian astronaut- भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय भूमिका
शुभांशु शुक्ला की यह ऐतिहासिक यात्रा भारत के लिए वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में एक नई पहचान लेकर आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई देते हुए कहा कि आज का यह मिशन केवल अंतरिक्ष तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ‘विकसित भारत’ की दिशा में हमारी यात्रा को नई गति देगा। यह मिशन न केवल भारत की तकनीकी क्षमता का प्रमाण है, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।

Shubhanshu Shukla becomes first Indian astronaut- अंतरिक्ष से धरती की एकता का संदेश
शुक्ला ने प्रधानमंत्री से बातचीत में कहा कि अंतरिक्ष से देखने पर धरती पर कोई सीमा नहीं दिखती, सब एक जैसे नजर आते हैं। यह भारत की ‘विविधता में एकता’ की भावना से मेल खाता है। उनका अनुभव बताता है कि विज्ञान और अंतरिक्ष अन्वेषण मानवता को जोड़ने का सबसे बड़ा माध्यम बन सकता है।
Shubhanshu Shukla becomes first Indian astronaut- भविष्य की ओर: गगनयान और चंद्रमा मिशन की तैयारी
Axiom-4 मिशन ने इसरो को अपने आगामी गगनयान मिशन के लिए जरूरी वैज्ञानिक प्रयोगों को अंतरिक्ष में जांचने का मौका दिया है। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर भारत के अपने अंतरिक्ष स्टेशन और भारतीय अंतरिक्ष यात्री के चंद्रमा पर उतरने के लक्ष्य को भी दोहराया।
