What happens after farming of charges- पुलिस के द्वारा जब माननीय न्यायालय में किसी भी एफआइआर की जांच करने के पश्चात चार्जशीट पेश कर दी जाती है तब न्यायालय के द्वारा चार्ज फ्रेम किया जाता है यानी आरोप है उपरांत गवाही की प्रक्रिया शुरू होती है यहाँ किसी भी मुकदमे की रीढ़ की हड्डी होती है और मुकदमा किस दिशा में जाएगा या आरोपी बरी होगा या उसे सजा होगी या गवाही तय करती है आइए इसके महत्वपूर्ण आयामों के विषय में आपको आसानी से बताते है|

What happens after farming of charges-गवाही में मुख्य परीक्षण और प्रतिपरीक्षण
आपराधिक मुकदमे का विचारण शुरू होने के पश्चात गवाही के स्टेज पर चार्जशीट में दी गई गवाहों की सूची के मुताबिक भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023(Indian Evidence Act 2023) की धारा 142 जिसे कि मुख्य परीक्षण एवं प्रतिपरीक्षण कहा जाता है इसी के तहत गवाहों की गवाही संपन्न होती है अभियोजन पक्ष की ओर से जो गवाह होते हैं उन्हें प्रॉसिक्यूशन विटनेस और आरोपी पक्ष से जो गवाह होते हैं उन्हें डिफेंस विटनेस के नाम से जाना जाता है|

What happens after farming of charges-गवाहों की संख्या अधिक होने की स्थिति में
कई केसेस ऐसे होते हैं जिसमें महज एक गवाह होता है लेकिन कई मामले ऐसे होते हैं जिसमें गवाहों की संख्या भी एक से अधिक होती है ऐसी स्थिति में गवाहों को क्रमवार दर्शाया जाता है जैसे पीडब्ल्यू वन, पीडब्ल्यू टू, पीडब्ल्यू थ्री, क्रमशः तथा डीडब्ल्यू वन ,डीडब्ल्यू टू ,DW 3 क्रमशः इत्यादि इन गवाहों के द्वारा अगर कोई सबूत कोर्ट में पेश किया जाता है तो अगर अभियोजन पक्ष की ओर से कोई सबूत पेश किया जाता है तो उसे पी वन, पी टू, और पी थ्री कहते हैं |

What happens to bail after charges are framed in court
What happens after farming of charges-आरोपी की तरफ से पेश कोई सबूत
अगर आरोपी की तरफ से कोई सबूत पेश किया जाता है तो उसे डी वन,. डी टू, और डी थ्री के रूप में दर्शाया जाता है सबसे पहला काम पीड़ित की गवाही होती है इसके बाद पब्लिक विटनेस जैसे की घटना के वक्त अगर कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य दर्शी होता है तो उसकी गवाही होती है इसके उपरांत पुलिस और डॉक्टर या फोरेन्सिक लैब के जो एक्स्पर्ट होते हैं उनकी गवाही होती है तथा केस के मुताबिक जो नाम दिए गए होते हैं उन सब की गवाही होने के बाद अंतिम में इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर यानी की जांच अधिकारी की गवाही संपन्न कराई जाती है|

What happens after farming of chargesगवाही के उपरांत मुख्य परीक्षण
गवाही संपन्न होने के उपरांत अभियोजन पक्ष यानी कि पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता जिन्हें सरकारी वकील भी कहा जाता है वह अभियोजन पक्ष के गवाहों का मुख्य परीक्षण करते हैं इसके उपरांत आरोपी के अधिवक्ता अपने मुवक्किल को बचाने के लिए अभियोजन पक्ष के गवाहों का मुख्य परीक्षण करते हैं इसके उपरांत वह उनसे जिरह यानी की बहस भी करते हैं इसे प्रतिपरीक्षण भी कहा जाता है यहाँ सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है अगर इसमें गवाह किसी तरीके की भी कमी प्रदर्शित करते हैं तो जो आरोपी के वकील होते हैं उस कमी का फायदा उठाते हुए केस को आरोपी को बरी करने की और लेकर जाते हैं|

What happens after farming of chargesन्यायालय की अवमानना
क्रॉस एग्जामिनेशन करते समय आरोपी पक्ष के अधिवक्ता भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 151,152 और 154 के तहत गवाहों से मुकदमे के आधार के विपरीत ऐसा कोई भी प्रश्न नहीं करेंगे या फिर किसी भी तरीके की ऐसी कोई टिप टीका टिप्पणी नहीं करेंगे जिससे कि गवाहों के चरित्र पर किसी भी प्रकार की आंच आए या उन्हें अपमानित महसूस हो अगर वह ऐसा करते हैं और बिना न्यायालय की अनुमति के बगैर उनसे किसी भी प्रकार का कोई प्रश्न पूछते हैं तो ये है की अवमानना के श्रेणी में आता है|

What happens after farming of charges-न्यायालय की अवमानना की स्थिति में
अब न्यायालय की अवमानना की स्थिति में जो सबसे बड़ी मुसीबत होती है वह संबंधित अधिवक्ता पर होती है अगर अधिवक्ता न्यायालय की अवमानना के दोषी पाए जाते हैं तो ऐसी स्थिति में वह मजिस्ट्रेट या न्यायाधीश आरोपी के अधिवक्ता के रिपोर्ट हाइकोर्ट या बार काउंसिल को भेज सकते हैं फिर आगे यदि अधिवक्ता के विरुद्ध किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही करने की इच्छा पर रखते हैं तो हाई कोर्ट या बार काउंसिल के द्वारा की जायेगी इसलिये प्रति परीक्षण के समय आरोपी के अधिवक्ता को इस बात का विशेष ध्यान रखते हुए गवाहों से बातचीत करनी चाहिए की कहीं न्यायालय की अवमानना ना हो जाए|

What happens after farming of charges-प्रतिपरीक्षण गवाही का सबसे महत्वपूर्ण भाग
आरोपी के द्वारा किया गया अधिवक्ता कितना योग्य है उसकी योग्यता प्रतिपरीक्षण में ही साबित होती है क्योंकि यह गवाही का अत्यंत महत्वपूर्ण भाग होता है वह गवाहों से किस तरीके से सच निकलवाता है और किस तरीके से झूठे गवाहों को पकड़ता है इस बात से यह सिद्ध होता है कि आरोपी को सजा सुनाई जायेगी या फिर उसे दोषमुक्त कर दिया जायेगा| इसलिये आप एक बेहतरीन अधिवक्ता का चयन करें जो आपके मामले का विचारण न्यायालय के समक्ष करवाने में मदद कर सके कई बार न्यायालय में झूठे गवाह भी प्रस्तुत कर दिए जाते हैं जो कि आरोपी पक्ष के अधिवक्ता की सूझबूझ से पकड़े भी जाते है और आरोपी को दोषमुक्त भी कर दिया जाता है|

What happens after farming of charges-आरोपी पक्ष के गवाहों की गवाही
यही प्रक्रिया आरोपी पक्ष के गवाहों के साथ भी दोहराई जाती है अभियोजन पक्ष के जो अधिवक्ता होते हैं जिन्हें की शासकीय अधिवक्ता के नाम से जाना जाता है वह अभियोजन पक्ष के गवाहों की गवाही करवातें हैं उनके ऊपर भी इस बात की जिम्मेदारी होती है कि मामले से हटकर गवाहों से किसी भी प्रकार की बातचीत ना करे अगर वह भी ऐसा करते हैं तो आरोपी पक्ष के अधिवक्ता के पास या अधिकार होता है कि उनकी शिकायत संबंधित मजिस्ट्रेट से करते हुए उच्च न्यायालय भी जा सकते हैं|

What happens after farming of charges-पुनः परीक्षण क्या होता है
यदि गवाही के उपरांत कोई नया तथ्य या कोई नया सबूत न्यायालय के समक्ष आता है तो भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 143 के तहत पुन गवाही कराई जा सकती है इसे पुनः परीक्षण के नाम से जाना जाता है इस दौरान उस तथ्य को शामिल करते हुये गवाही की संपूर्ण प्रक्रिया को पुनः दोहराया जाता है परंतु इस बार प्रथम बार से अधिक सावधानी बरती जाती है कि कोई भी तथ्य जो मुकदमे से संबंधित हो वो न छूटे और उसे कोर्ट के सामने रिकॉर्ड पर रखा जाये|

What happens after farming of charges-पीड़ित पक्ष के गवाहों के मुकर जाने की स्थिति में
अभियोजन पक्ष के गवाह जिन्हें सरकारी गवाह भी कहा जाता है कई बार ऐसा होता है कि वह अपने बयान से मुकर जाते हैं जिन्हें होस्टाइल होना कहा जाता है ऐसी स्थिति में शासकीय अधिवक्ता भारतीय साक्ष्य अधिनियम की 2023 की धारा 157 के तहत खुद उस गवाह से जीरह कर सकते हैं क्रॉस कर सकते हैं और बहस कर सकते हैं वह क्या साबित करने के लिये ऐसा कर सकते हैं कि गवाह जानबूझ कर आरोपी को बचाने के लिए झूठ बोल रहा है और उससे मिल चुका है|

What happens after farming of charges- गवाही देने हेतु गवाह की बाध्यता
ऐसा गवाह जो कि न्यायालय के समक्ष सच्चाई नहीं बताना चाहता तो उसके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 की धारा 137 और 150 के तहत यह प्रावधान किया गया है कि गवाह को किसी भी प्रश्न देने का उत्तर देने के लिए मजबूर किया जा सकता है क्योंकि गवाह की गवाही यह निर्धारित करती है कि आरोपी को सजा होगी अगर नहीं होगी इसलिये किसी गवाह के मुकर जाने के कारण अगर एक दुर्दांत आरोपी बच जाता है तो यह पीड़ित के साथ में काफी अन्याय होगा इसलिये यह प्रावधान किया गया है कि अगर सरकारी गवाह झूठ बोलता है तो उसे सच बोलने के लिए मजबूर किया जा सके|

What happens after farming of chargesगंभीर मामलों में मजिस्ट्रेट की गवाही
गंभीर मामले जैसे कि बलात्कार और हत्या गैंगरेप की इस स्थिति में जिस मजिस्ट्रेट के समक्ष भारतीय न्याय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 183 के तहत पीड़िता के बयान दर्ज हुए हैं अगर वह मामला सेशन कोर्ट द्वारा विचारणीय है तो संबंधित मजिस्ट्रेट को भी जिसके समक्ष पीड़िता की गवाही भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 183 के तहत हुई थी उस मजिस्ट्रेट को गवाही देने के लिए सेशन कोर्ट केस द्वारा भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 की धारा 127 के तहत बुलाया जा सकता है की आप आइये और न्यायालय में गवाही दीजिये|

What happens after farming of charges- स्वयं को बचाने के लिये गवाही
अभियोजन पक्ष के संपूर्ण गवाहों की गवाही पूरी हो जाने के पश्चात आरोपी पक्ष अपने बचाव के लिए अपनी गवाही करवा सकता है या फिर किसी और व्यक्ति की गवाही भी शामिल करा सकता है इसमें वो कोई सबूत जो उसके पक्ष में हो तो उसको पेश कर सकता है या फिर किसी व्यक्ति या संस्था सरकारी या गैरसरकारी संस्था को कोर्ट द्वारा बुलवाकर पेश करवा कर अपना पक्ष भी रख सकता है क्योंकि भारतीय कानून में आरोपी को भी अपना पक्ष रखने की पूरी स्वतंत्रता दी गई है और उसे न्यायालय में पूरा मौका भी दिया जाता है भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 530 के तहत गवाही के लिये समन नोटिस भेजना आदि चीजें अब इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भी की जा सकती है|

What happens after farming of charges-मुकदमे का अंतिम बहस में लगना
अभियोजन पक्ष और पीड़ित पक्ष की गवाही तथा गवाहों से जिरह प्रति परीक्षण और पुन परीक्षण की प्रक्रिया पूरी हो जाने के पश्चात भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 352 के तहत केस अंतिम बहस में लग जाता है जिसमें दोनों पक्ष के अधिवक्ता अपने पक्ष के समर्थन की बातों को कोर्ट के समक्ष विस्तार से रखते है अगर बहस में समय लगता है तो फिर उसे अगली पेशी पर पूरा किया जाता है लेकिन बहस नहीं छोड़ी जाती है या बहस लिखित रूप में भी दी जा सकती है जिसे अंतिम लिखित तर्क भी कहा जाता है यहाँ जो बहस है यह निर्धारित करती है कि आरोपी को कितनी सजा होगी|